हमारे संस्थापक- आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र राय (1861-1944)

आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र राय का जन्म 2 अगस्त 1861 को जिला खुलना (वर्तमान में बांग्लादेश) के एक गाँव, रारुली-कतिपारा में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा की शुरुआत उनके गाँव के स्कूल से हुई।   गाँव के स्कूल के बाद, वे कोलकाता गए, वहां उन्होंने हरे स्कूल और मेट्रोपोलिटन कॉलेज में अध्ययन किया। प्रेसीडेंसी कॉलेज में अलेक्जेंडर पेडलर के व्याख्यान थे, जिनकी उपस्थिति के वे अभ्यस्त थे, उन्हें रसायन विज्ञान में आकर्षित किया, हालाँकि उनका पहला प्यार साहित्य था। कलकत्ता विश्वविद्यालय से एफ.ए. डिप्लोमा लेने के बाद, उन्होंने गिलक्रिस्ट छात्रवृत्ति पर एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के लिए प्रस्थान किया जहां उन्होंने उनकी बी.एससी और डी.एससी दोनों उपाधियां प्राप्त की।

1888 में, प्रफुल्ल चन्द्र ने अपने घर भारत की ओर यात्रा की। शुरु में उन्होंने एक वर्ष उनके प्रसिद्ध मित्र आचार्य जगदीश चन्द्र बोस के साथ उनकी प्रयोगशाला में काम किया। 1889 में, प्रफुल्ल चन्द्र को प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता में एक रसायन के सहायक प्राध्यापक नियुक्त किया गया था। मर्कुरियस नाइटराइट और इसके डेरिवेटिव्स पर उनके प्रकाशन ने दुनिया भर से मान्यता प्राप्त की। उतनी ही महत्वपूर्ण एक शिक्षक के रूप में उनकी भूमिका थी – उन्होंने भारत में युवा रसायनज्ञों की एक पीढ़ी को प्रेरित किया जिससे भारतीय रसायन विज्ञान संस्थान बनाया गया। प्रसिद्ध भारतीय विज्ञानिक जैसे मेघंद साहा और शांति स्वरुप भटनागर उनके छात्रों में से थे।  प्रफुल्ल चन्द्र जी का विश्वास था की भारत की प्रगति केवल औधोगिकीकरण के द्वारा ही हासिल की जा सकती है। उन्होंने ने बहुत कम संसाधनों के साथ अपने घर से काम करके भारत की पहली रसायन फैक्ट्री स्थापित की।  1901 में इस अग्रणी प्रयास से बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की स्थापना हुई। आज बंगाल केमिकलस 100 वर्षों से ज्यादा एक समृद्ध विरासत के साथ गृह उत्पाद, फार्मास्युटिकल्स, और रसायन के क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम है।  वह 1916 में प्रेसीडेंसी कॉलेज से सेवानिवृत हुए, और यूनिवर्सिटी साइंस कॉलेज में रासायन के प्राध्यापक के रूप में नियुक्त किये गए। 1921 में जब प्रफुल्ल चन्द्र 60 वर्षों के हुए, उन्होंने यूनिवर्सिटी में बाकी बची हुई अपनी सेवाओं के लिए अपना सारा वेतन अग्रिम में रासायन विभाग के विकास के लिए और दो शोध फ़ेलोशिप के निर्माण के लिए दान कर दिया। इस दान की कीमत लगभग दो लाख रूपए थी। अंततः वह 75 की उम्र में सेवानिवृत हो गए। प्रफुल्ल चन्द्र में वैज्ञानिक और औधोगिक उद्यमी दोनों की ही विशेषताएं सयुंक्त रूप से थी और उन्हें भारतीय औषधि उद्योग के पिता के रूप में माना जा सकता है।

इतिहास

बंगाल केमिकल एंड फार्मास्युटिकल वर्क्स लिमिटेड (बीसीपीडब्ल्यू) वर्तमान कंपनी, बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (बीसीपीएल) की अग्रदूत है। आचार्य पी.सी. राय ने 91 अपर सर्कुलर रोड, कोलकाता में एक किराए का घर ले लिया और 00 रूपए की अल्प पूंजी के साथ कारोबार शुरू किया। कंपनी की स्थापना के बाद से वह गुणवत्ता के प्रति बहुत जागरूक रहे और ब्रिटिश फार्माकोपिया मानक के विभिन्न उत्पादों का उत्पादन किया। डॉ. आर.जी. कर, डॉ. एन आर सरकार, डॉ. एस पी सरबाधिकारी, डॉ. अमूल्य चरण बोस, इत्यादि राष्ट्रवादी भावना वाले प्रख्यात डॉक्टर्स आगे आये और उत्पादों को सरंक्षण दिया। कंपनी की प्रतिष्ठा तेज़ी से बढ़ रही थी, तब आचार्य पीसी राय जी ने कंपनी में बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए और अधिक फण्ड जुटाने के बारे में सोचा। यह विचार लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित करने के लिए सफल साबित हुआ और 12 अप्रैल 1901 को 91 अप्पर सर्कुलर रोड पर उसी परिसर को रखते हुए बंगाल केमिकल एण्ड फार्मास्युटिकल्स वर्क्स लिमिटेड के नाम से कंपनी बनाई।

जल्दी ही बीसीपीडब्ल्यू स्वदेशी तकनीक, कौशल और कच्चे माल का प्रयोग करके क्वालिटी केमिकल ड्रग्स, ड्रग्स, फार्मास्युटिकल्स और गृह उत्पादों का विनिर्माण करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गयी। सयोंगवश, यहाँ यह उल्लेखनीय है कि कुछ उत्पाद जैसे अग्निशामक यंत्र, सर्जिकल एवं हॉस्पिटल उपकरण, टेलकम पाउडर, टूथपेस्ट, ग्लिसरीन साबुन, कार्बोलिक साबुन इत्यादि, जो उस समयावधि के दौरान प्रचलित थे, यह देखते हुए कि ये उत्पाद बाजार परिदृश्य प्रचलित के आधार पर लाभकारी नहीं थे, इन्हें बाद में बंद कर दिया।

आचार्य राय जी के राष्ट्रवादी दृष्टिकोण और देशभक्ति की भावना ने राष्ट्रीय नेताओं जैसे महात्मा गाँधी, श्री सी आर दास, श्री सुभाष चन्द्र बोस, पंडित जवाहर लाल नेहरु और कई अन्य दिग्गजों को प्रभावित किया। इस के अलावा, श्री राजशेखर बोस, प्रख्यात लेखक, भी आचार्य पी सी राय के साथ जुड़े हुए थे। वह बीसीपीडब्ल्यू के प्रबंधक भी रहे। उन सभी ने कंपनी की जरुरत के समय में आचार्य पी सी राय से संपर्क करने का एक भी अवसर नहीं छोड़ा।

इसके संस्थापक के नेतृत्व में, बीसीपीडब्ल्यू ने अपनी उत्पादन सुविधाओं के विस्तार के साथ महिमा और सफलता को साथ-साथ एकत्रित किया। 1905 में मानिकतल्ला (कोलकाता) में एक फैक्ट्री के साथ विनम्र शुरुआत से, 1920 में पानिहाटी  (उत्तर 24 परगना, पश्चिम बंगाल) में, 1938 में मुंबई में और 1949 में कानपुर में तीन अन्य कारखानों की स्थापना की गयी, जबकि इसका पंजीकृत कार्यालय 6 गणेश चन्द्र एवेन्यू, कोलकाता-700013 में है।